पटना: बिहार में ताड़ के पेड़ों की लगातार कटाई और इसके चलते आकाशीय बिजली से हो रही मौतों में बढ़ोतरी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गहरी चिंता जताई है। ट्रिब्यूनल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और बिहार की संबंधित एजेंसियों से जवाब मांगा है।
NGT ने सवाल उठाया है कि आखिर क्यों प्राकृतिक रूप से लोगों की रक्षा करने वाले ताड़ के पेड़ों को बेधड़क काटा जा रहा है? कई शोध और वैज्ञानिक अध्ययन यह साबित कर चुके हैं कि ताड़ के पेड़ बिजली गिरने की घटनाओं को कम करने में सहायक होते हैं।
राज्य में पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में ताड़ के पेड़ काटे गए हैं। इसके बाद से बिजली गिरने से मौत के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कई ग्रामीण इलाकों में यह आम समस्या बन चुकी है, जहां हर साल दर्जनों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।
NGT ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से यह भी पूछा है कि अब तक पेड़ कटाई को रोकने और सुरक्षा उपायों के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्राकृतिक संतुलन बहाल करने की दिशा में तुरंत कार्रवाई की जाए।
इस मुद्दे ने अब न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा का सवाल भी खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है।