Patna, Bihar: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष पद को लेकर अटकलों पर अब लगभग विराम लग चुका है। लालू प्रसाद यादव का दोबारा अध्यक्ष बनना अब तय माना जा रहा है।
इससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि पार्टी इस बार भी किसी नए चेहरे पर दांव लगाने के मूड में नहीं है। बिहार की राजनीति में लालू यादव का कद अब भी अडिग बना हुआ है और पार्टी के भीतर उनके निर्णयों को पूरी स्वीकार्यता मिलती है।
राजद का गठन वर्ष 1997 में हुआ था और तब से लेकर अब तक लालू प्रसाद यादव ही पार्टी की पहचान बने हुए हैं। बीच में जब वे स्वास्थ्य कारणों या कानूनी पचड़ों के चलते सक्रिय राजनीति से थोड़ा दूर रहे, तब भी पार्टी की कमान पर उनकी ही पकड़ बनी रही।
ऐसे में अब जबकि बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, पार्टी को भरोसा है कि लालू यादव की अगुवाई में ही उन्हें अधिक मजबूती मिलेगी।
लालू यादव के अनुभव, राजनीतिक पकड़ और जनाधार को देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है।
यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि ऐसे समय में जब विपक्षी दल एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं, राजद किसी तरह का नेतृत्व परिवर्तन कर जोखिम नहीं उठाना चाहता। इससे कार्यकर्ताओं के बीच भी स्पष्ट संदेश जाएगा कि पार्टी एकजुट और स्थिर नेतृत्व में विश्वास रखती है।
बिहार की राजनीति में राजद की पकड़ मजबूत रही है और लालू यादव का नाम अब भी बड़ी संख्या में मतदाताओं को प्रभावित करता है।
उनके दोबारा अध्यक्ष बनने से न सिर्फ पार्टी के पुराने कार्यकर्ता सक्रिय होंगे, बल्कि आने वाले चुनाव में पार्टी एकजुट होकर मैदान में उतर सकेगी। इस फैसले से पार्टी को चुनावी रणनीति बनाने और अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में भी सुविधा होगी।
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