बिहार में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने की दिशा में एक अभिनव पहल की जा रही है। अब राज्य की स्कूली छात्राएं साइबर सुरक्षा की ब्रांड एंबेसडर बनकर अपने समुदायों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने की जिम्मेदारी निभाएंगी।
राज्य में बढ़ते साइबर फ्रॉड मामलों को देखते हुए बिहार शिक्षा परियोजना ने एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) और यूनिसेफ के सहयोग से एक नई योजना शुरू की है। इसके तहत कक्षा 9 से 12 तक की छात्राओं को “पीयर एजुकेटर” के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। ये छात्राएं न केवल अपने स्कूलों में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाएंगी, बल्कि प्रखंड स्तर पर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की निगरानी भी करेंगी।
26 और 27 जून को राज्य स्तर पर प्रशिक्षित किए गए 10 रिसोर्स पर्सन अब जिलों का दौरा कर प्रत्येक स्कूल से चयनित दो छात्राओं को प्रशिक्षित करेंगे। जुलाई से इन छात्राओं को एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत डिजिटल दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर शिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण में मीडिया साक्षरता, ऑनलाइन संवाद, सुरक्षित डिजिटल व्यवहार, और कंटेंट निर्माण जैसे विषय शामिल होंगे।
राज्य स्तरीय एक प्रशिक्षक ने कहा, “यह पहल सिर्फ साइबर सुरक्षा की बात नहीं है, बल्कि जिम्मेदार डिजिटल नागरिक तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये लड़कियां दोहरी भूमिका निभाएंगी — अपने स्कूलों में शिक्षक की तरह और ब्लॉक स्तर पर निगरानीकर्ता के रूप में।”
इस प्रशिक्षण में छात्राओं को यह भी सिखाया जाएगा कि वे ऑनलाइन स्रोतों की विश्वसनीयता कैसे जांचें, ईमेल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल का सही इस्तेमाल कैसे करें, और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का नैतिक उपयोग क्या होता है। इसके साथ-साथ डिजिटल नागरिकता और ऑनलाइन व्यवहार से जुड़े पहलुओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
कार्यक्रम के दायरे को व्यापक बनाने के लिए स्कूलों में नशा मुक्ति अभियान को भी इस पहल में शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को साइबर और सामाजिक दोनों स्तरों पर सजग बनाया जा सके।
Read Also: Saharsa News: सहरसा में मंदिर से घंटा चोरी करने वाले दो चोर गिरफ्तार, पीतल का घंटा लेकर भाग रहे थे