Bihar Politics: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। नवंबर में संभावित चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन के बीच सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। जहां एनडीए लालू-राबड़ी शासनकाल के ‘जंगलराज’ को मुद्दा बना रही है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीस साल के शासन पर सवाल उठा रहे हैं। इस बीच, प्रशांत किशोर भी एक मजबूत तीसरे विकल्प के रूप में उभरते दिख रहे हैं।
इसी सियासी घमासान के बीच, जून के तीसरे सप्ताह में सी-वोटर द्वारा आज तक के लिए कराए गए सर्वे ने बिहार की सियासी जमीन को और गर्म कर दिया है। सर्वे में मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद के रूप में तेजस्वी यादव 34.6% समर्थन के साथ सबसे आगे हैं। हालांकि फरवरी में उनका समर्थन 40.6% था, यानी इसमें लगभग 6% की गिरावट आई है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जन सुराज पार्टी के नेता और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीछे छोड़ते हुए दूसरे स्थान पर जगह बना ली है। उन्हें 18.4% लोगों का समर्थन मिला है, जो फरवरी के मुकाबले 3.5% अधिक है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सर्वे में तीसरे स्थान पर खिसक गए हैं। उन्हें मात्र 17.4% समर्थन मिला है, जो फरवरी में 18.4% था। यह गिरावट एनडीए के लिए चिंता का विषय हो सकती है, खासकर तब जब गठबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी धीरे-धीरे बढ़त बना रहे हैं। फरवरी में उन्हें 3.7% समर्थन मिला था, जो जून की शुरुआत में बढ़कर 10.6% हुआ, हालांकि अब यह थोड़ा घटकर 9.9% रह गया है।
उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी का प्रदर्शन भी उतार-चढ़ाव भरा रहा। अप्रैल में उनका समर्थन 12.5% तक पहुंच गया था, जो जून की शुरुआत में गिरकर 6.6% हुआ और अब 9.6% पर आ गया है।
इस सर्वे से स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति अब दो ध्रुवों तक सीमित नहीं रही। जनता एक नए विकल्प की तलाश में है और प्रशांत किशोर तथा चिराग पासवान जैसे नेता इस खाली जगह को भरने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में ये आंकड़े कैसे बदलते हैं और चुनावी मैदान में किसकी सियासी चाल सबसे भारी पड़ती है।