पटना में रविवार रात उस वक्त सनसनी फैल गई जब जाने-माने व्यवसायी और मगध हॉस्पिटल के मालिक गोपाल खेमका की बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात गांधी मैदान थाना क्षेत्र के बेहद सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में हुई, जहां खेमका अपने अपार्टमेंट के बाहर मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक, बाइक सवार अपराधियों ने खेमका पर बेहद नजदीक से गोलियां चलाईं। घटना के समय खेमका अपनी गाड़ी में बैठे हुए थे और जैसे ही उन्होंने गाड़ी का गेट खोलने की कोशिश की, तभी अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। गोली सीधे उनके सिर में लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि घटना स्थल थाना से महज 500 मीटर की दूरी पर था, लेकिन पुलिस घटनास्थल पर पहुंचने में डेढ़ घंटे से भी ज्यादा समय ले गई। इस लापरवाही को लेकर न सिर्फ परिजन, बल्कि पूरे कारोबारी समुदाय में आक्रोश है।
गोपाल खेमका कोई सामान्य व्यवसायी नहीं थे। वे मगध हॉस्पिटल के मालिक होने के साथ-साथ पेट्रोल पंप और अन्य कारोबारों से भी जुड़े थे। उनका परिवार पहले भी अपराधियों के निशाने पर रह चुका है। साल 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की भी ठीक इसी तरह हत्या कर दी गई थी, जब वे अपने दफ्तर जा रहे थे।
एक ही परिवार के दो बड़े सदस्यों की हत्या से यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर पटना जैसे शहर में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं। परिजनों ने साफ कहा है कि पुलिस अगर समय रहते कार्रवाई करती और पर्याप्त सुरक्षा देती, तो आज यह घटना नहीं होती।
घटना के बाद पूरे पटना में व्यापारियों में जबरदस्त गुस्सा है। लोग कह रहे हैं कि जब राजधानी में कारोबारी सुरक्षित नहीं हैं, तो बाकी शहरों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पुलिस अब मामले की जांच में जुटी है। आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और अपराधियों की तलाश तेज कर दी गई है।
लेकिन इस हत्या ने एक बार फिर बिहार की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब महज 500 मीटर की दूरी पर वारदात के बाद भी पुलिस इतनी देर से पहुंचती है, तो आम आदमी खुद को कैसे सुरक्षित माने?
पटना में इस वारदात के बाद दहशत का माहौल है और हर गली-चौराहे पर लोग बस यही चर्चा कर रहे हैं कि अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं और आखिर पुलिस कब तक सोती रहेगी।