Bihar Politics: राजद नेता तेजस्वी यादव ने कथावाचकों और मंदिरों में पुजारियों को लेकर चल रहे भेदभाव पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कथा कहने का अधिकार सभी को है, चाहे वह किसी भी जाति या समुदाय का क्यों न हो।
तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि क्या पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति कथावाचक नहीं बन सकता? क्या दलित समाज का कोई व्यक्ति मंदिर में पुजारी की भूमिका नहीं निभा सकता? उनका यह बयान केवल एक सवाल नहीं बल्कि वर्षों से चले आ रहे सामाजिक असमानता के ढांचे को चुनौती देने जैसा है।
तेजस्वी यादव ने यह साफ किया कि धार्मिक जिम्मेदारियां किसी विशेष जाति की बपौती नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति को बराबरी से जीने और समाज में योगदान देने का हक है।
उन्होंने भाजपा से भी सीधा जवाब मांगा कि क्या वह इस तरह के जातिगत भेदभाव का समर्थन करती है या नहीं। समाज में व्याप्त यह सोच कि केवल कुछ ही जातियां धार्मिक कार्य कर सकती हैं, लोकतंत्र और समानता की भावना के खिलाफ है।
तेजस्वी यादव का यह बयान केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि एक सामाजिक सुधार की मांग है। आज भी देश के कई हिस्सों में जाति के नाम पर लोगों को धार्मिक कार्यों से वंचित रखा जाता है।
यह सोच समाज को बांटने का काम करती है और उसे पीछे ले जाती है। अगर हर किसी को समान अवसर दिया जाए तो ना सिर्फ सामाजिक एकता मजबूत होगी बल्कि धार्मिक गतिविधियों में भी विविधता और समरसता आएगी।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह मुद्दा राजनीतिक बहस तक सीमित रहता है या इससे कोई ठोस बदलाव की शुरुआत होती है। लेकिन इतना तय है कि तेजस्वी यादव ने एक ऐसा सवाल खड़ा कर दिया है जिससे मुंह मोड़ना अब आसान नहीं होगा।