पटना में शुक्रवार रात हुए सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे बिहार को हिलाकर रख दिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रमुख नेता और मशहूर व्यवसायी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना से न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मची है, बल्कि कारोबारी समुदाय और आम लोगों में भी भारी आक्रोश है।
गोपाल खेमका मगध अस्पताल के मालिक थे और हेल्थकेयर सेक्टर के साथ-साथ पेट्रोल पंप व्यवसाय में भी सक्रिय थे। उनकी पहचान एक सफल व्यवसायी के रूप में थी, जो समाज में भी खासा सम्मान रखते थे।
इस हत्याकांड के बाद पूर्णिया से सांसद और वरिष्ठ नेता पप्पू यादव गोपाल खेमका के परिवार से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया।
पप्पू यादव ने अपने पोस्ट में लिखा कि ठीक सात साल पहले गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या भी इसी तरह की गई थी। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उस वक्त सरकार ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की होती, तो शायद आज गोपाल खेमका जिंदा होते।
अपने पोस्ट में पप्पू यादव ने बिहार में बढ़ते अपराध और गुंडागर्दी को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने लिखा कि आज बिहार में कोई भी सुरक्षित नहीं है। हर तरफ अपराधियों का आतंक बढ़ता जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है।
उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। पहले बेटे की हत्या और अब पिता की हत्या से पूरा परिवार बिखर गया है। उन्होंने कहा कि यह महज हत्या नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा खतरा है।
पप्पू यादव के इस पोस्ट पर हजारों लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। लोगों ने एक सुर में कहा कि बिहार की कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल हो चुकी है और अपराधी बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
गोपाल खेमका की हत्या के बाद पूरे राज्य में गुस्से का माहौल है। व्यापारी संगठन भी सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे।
इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर बिहार में अपराधियों का मनोबल इतना क्यों बढ़ गया है। लोग कह रहे हैं कि अगर सरकार ने पहले से सख्ती दिखाई होती, तो आज पटना की सड़कों पर खून नहीं बहता।
अब पूरे बिहार की निगाहें इस मामले की जांच और सरकार की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। सवाल यही है—क्या इस बार अपराधी बच पाएंगे या फिर न्याय होगा?