Banka News: आस्था और उल्लास के साथ संपन्न हुई बिहुला-विषहरी पूजा, विसर्जन में उमड़ा जनसैलाब
बांका जिले में लोक आस्था का पर्व बिहुला और विषहरी पूजा बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। दो दिनों तक चले इस आयोजन में गांव-गांव में पूजा, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला चलता रहा।

Banka News: बांका जिले में लोक आस्था का पर्व बिहुला और विषहरी पूजा बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। दो दिनों तक चले इस आयोजन में गांव-गांव में पूजा, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला चलता रहा। मंगलवार को प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही पूजा का समापन हुआ। इस दौरान नदी घाटों और तालाबों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।
ग्रामीण अंचलों में बिहुला और विषहरी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। लोग मानते हैं कि इस पूजा से नाग-देवता प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर आने वाली आपदाएं टल जाती हैं। खासकर महिलाएं बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ उपवास रखकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। पूजा पंडालों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ जुटती रही, जहां परंपरागत गीतों और कथाओं का वाचन होता रहा।
विसर्जन के समय भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। ढोल-नगाड़े और बाजे की धुन पर लोग झूमते-गाते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए। श्रद्धालु पूरे रीति-रिवाज के साथ प्रतिमाओं को गाजे-बाजे के साथ जल में विसर्जित कर रहे थे। भीड़ के बावजूद जगह-जगह शांति और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रशासन और स्थानीय युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पूजा के दौरान लोगों ने अपने घरों और आंगनों को सजाया, पारंपरिक पकवान बनाए और एक-दूसरे को प्रसाद वितरित किया। इस मौके पर गांव में आपसी भाईचारे और सामूहिकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला। कई जगह बाहर से आए प्रवासी लोग भी इस पर्व में शामिल होकर अपने गांव की परंपरा और संस्कृति से जुड़े।
दो दिवसीय बिहुला और विषहरी पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह लोक संस्कृति और सामूहिक एकता का भी अनूठा उत्सव है। विसर्जन के साथ ही जब प्रतिमाएं नदी की लहरों में विलीन हुईं तो हर किसी ने यह भावना व्यक्त की कि अगले वर्ष फिर और भी उल्लास और श्रद्धा के साथ यह पर्व मनाया जाएगा।