प्रशांत किशोर बोले: सरकार बनी तो भ्रष्टाचार पर सबसे पहले होगी सख्त कार्रवाई, दोषी जाएंगे जेल
प्रख्यात चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। रोहतास जिले में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि

Bihar Politics: प्रख्यात चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। रोहतास जिले में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि उनकी पार्टी को बिहार की जनता मौका देती है और सरकार बनती है, तो सबसे पहला कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का होगा। उन्होंने कहा कि जो भी नेता या सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया जाएगा, उसे किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल भेजा जाएगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि आज बिहार में सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है। आम जनता को हर स्तर पर रिश्वत और लापरवाही का सामना करना पड़ता है। सरकारी योजनाएं ज़मीन पर नहीं उतर पा रही हैं और जनता का भरोसा पूरी तरह से टूट चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक की सभी सरकारों ने केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाए हैं, लेकिन वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आते ही सबसे पहले ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर आधारित प्रशासनिक व्यवस्था लागू करेगी। उन्होंने कहा कि बिहार में एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दे, न कि केवल वोट बैंक की राजनीति करे।
प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी के घोषणापत्र में भ्रष्टाचार उन्मूलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए विशेष योजनाएं लाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद हर जिले में भ्रष्टाचार विरोधी सेल का गठन किया जाएगा जो भ्रष्टाचार की शिकायतों की त्वरित जांच कर दोषियों को सजा दिलाएगा।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे आगे आकर इस बदलाव की लड़ाई में साथ दें। उन्होंने कहा कि यदि बिहार को आगे बढ़ाना है तो सबसे पहले भ्रष्ट व्यवस्था को जड़ से खत्म करना होगा।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशांत किशोर की यह रणनीति उन्हें जनता के बीच एक ईमानदार और संकल्पित नेता के रूप में स्थापित करने में मदद कर सकती है। अब यह देखना होगा कि आने वाले चुनाव में जनता उनके वादों पर कितना भरोसा जताती है।