Bihar News: फर्जीवाड़े का हैरतअंगेज मामला मौत के बाद भी नौकरी में बने रहे शिक्षक
जानकारी के अनुसार, निरंजन नामक व्यक्ति फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर शिक्षक बने और उनकी मौत के पांच साल बाद जाकर उन पर एफआईआर दर्ज की गई।

बिहार में एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जिसने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। जानकारी के अनुसार, निरंजन नामक व्यक्ति फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर शिक्षक बने और उनकी मौत के पांच साल बाद जाकर उन पर एफआईआर दर्ज की गई। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई और जिम्मेदारी किसकी है।
निरंजन की नियुक्ति सालों पहले शिक्षक पद पर हुई थी, लेकिन अब पता चला है कि उन्होंने जो शैक्षणिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए थे, वे पूरी तरह से फर्जी थे। हैरानी की बात तो यह है कि उनकी मौत हो जाने के बाद भी इस फर्जीवाड़े का खुलासा नहीं हुआ और विभाग की नजरों से यह मामला ओझल बना रहा। आखिरकार शिकायत और जांच के बाद सच्चाई सामने आई तो विभाग ने एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया।
यह मामला बिहार की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। एक व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के दम पर नौकरी हासिल करता है, सालों तक वेतन लेता है और उसके मरने के बाद भी सिस्टम को भनक तक नहीं लगती। इससे साफ झलकता है कि भर्ती प्रक्रिया और प्रमाणपत्रों की जांच कितनी लापरवाही से की जाती है।
ग्रामीण इलाकों में अक्सर ऐसी खबरें आती रही हैं कि फर्जी कागजात के आधार पर लोग सरकारी नौकरियों में घुसपैठ कर जाते हैं। लेकिन यह मामला अलग इसलिए है क्योंकि यहां तो व्यक्ति के गुजर जाने के बाद भी कई साल तक उसकी फर्जी नियुक्ति का भंडाफोड़ नहीं हुआ। इससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा बल्कि योग्य उम्मीदवारों का हक भी मारा गया।
अब जब एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो यह देखना अहम होगा कि आगे जांच किस तरह से आगे बढ़ती है और किन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठता है। साथ ही यह घटना शिक्षा विभाग को भी सीख देती है कि भविष्य में नियुक्तियों के दौरान दस्तावेजों की गहन जांच सुनिश्चित की जाए ताकि ऐसे कारनामे दोबारा न हो सकें।